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बिहार में सियासी हलचलें तेज: क्या ललन सिंह के बदले नीतीश खुद संभालेंगे पार्टी की कमान 

Will Nitish himself take charge of the party in place of Lalan Singh

सत्य खबर/ पटना: भारत के विपक्षी दलों के गठबंधन की चौथी बैठक के बाद बिहार में ये दोनों राजनीतिक हलचलें तेज हो गई हैं. राज्य में सत्तारूढ़ जेडीयू में बड़े बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 29 दिसंबर को एक ही दिन पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की अहम बैठक बुलाई है. जानकार सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को पद से हटाने का बड़ा कदम उठा सकते हैं.

सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार ललन सिंह की राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और बिहार के मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से बढ़ती नजदीकियों से काफी नाराज हैं. इस कारण उन्हें पद से हटाए जाने की संभावना है. 29 दिसंबर को होने वाली अहम बैठक में ये बड़ा फैसला लिया जा सकता है. सूत्रों का यह भी कहना है कि ललन सिंह की छुट्टी के बाद नीतीश कुमार खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं.

नीतीश के वफादारों ने दी सलाह!

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलाए जाने के बाद से बिहार में राजनीतिक हलचलें तेज हो गई हैं. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, नीतीश कुमार को उनके करीबी वफादारों ने सलाह दी है कि पार्टी में किसी भी तरह की कलह से बचने के लिए उन्हें खुद ही अध्यक्ष पद की कमान संभाल लेनी चाहिए. पहले अशोक चौधरी द्वारा सांसद रमाकांत ठाकुर को पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चाएं सुनने को मिल रही थीं, लेकिन नीतीश के करीबी लोगों का कहना है कि अध्यक्ष पद किसी और को सौंपने से पार्टी में कलह हो सकती है, जिससे पार्टी को राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है नुकसान।

ललन सिंह की लालू से करीबी से नाराजगी

जानकारों के मुताबिक नीतीश कुमार ललन सिंह के काम करने के तरीके से काफी नाराज हैं. खासकर ललन सिंह की राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और राज्य के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से बढ़ती नजदीकियां नीतीश कुमार की नाराजगी की सबसे बड़ी वजह है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ललन सिंह 2024 का लोकसभा चुनाव फिर से मुंगेर संसदीय सीट से लड़ना चाहते हैं और वह राजद के टिकट पर चुनावी मैदान में उतर सकते हैं।

बेहतर समन्वय में भी ललन सिंह विफल रहे

लालू से नजदीकियों के साथ-साथ नीतीश कुमार की ललन सिंह से नजदीकियां भी एक और बड़ी वजह मानी जा रही है. दरअसल, नीतीश कुमार की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में ललन सिंह भारत गठबंधन में शामिल दलों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने में पूरी तरह विफल साबित हुए हैं. इंडिया अलायंस की अब तक चार बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन अब तक नीतीश कुमार को न तो संयोजक पद की जिम्मेदारी दी गई है और न ही पीएम चेहरे के तौर पर उनके नाम पर कोई चर्चा शुरू हुई है. इस कारण भी ललन सिंह की छुट्टी तय मानी जा रही है.

नीतीश कई बड़े नेताओं से अलग हो चुके हैं

अब सबकी नजरें 29 दिसंबर को होने वाली जेडीयू की अहम बैठक पर हैं. राजनीतिक जानकार जेडीयू के एक अहम इतिहास का भी जिक्र कर रहे हैं. जेडीयू का इतिहास रहा है कि जब भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक एक साथ बुलाई गई है, तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष में बदलाव होता रहा है. ऐसे में 29 दिसंबर को ललन सिंह को भी छुट्टी मिल सकती है.
हालांकि, पिछले इतिहास पर नजर डालें तो नीतीश ने अपने कई करीबियों से अपनी राजनीतिक राहें अलग कर ली थीं. पिछले दिनों नीतीश कुमार जिन नेताओं से अलग हुए हैं उनमें जॉर्ज फर्नांडिस, शरद यादव, उपेंद्र कुशवाहा, आरसीपी सिंह और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर जैसे नाम शामिल हैं.

ललन सिंह के पार्टी नेताओं के साथ अच्छे संबंध नहीं हैं

यह भी माना जा रहा है कि ललन सिंह को पद से हटाने का एक कारण यह भी है कि उनकी पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं से नहीं बन रही है. हाल ही में ललन सिंह की जेडीयू के वरिष्ठ नेता अशोक चौधरी से तीखी नोकझोंक हुई थी. दोनों नेता नीतीश कुमार के सामने ही आपस में भिड़ गए थे और नीतीश को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा था. इस लड़ाई की वजह से नीतीश कुमार की काफी बदनामी हुई थी. हालांकि, बाद में अशोक चौधरी ने बयान जारी कर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की.

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